जंगल मे साधू बाबा का मोटा लौड़ा लिया-Sadhu baba ne choda

sadhu baba ne choda:- दोस्तों ये कहानी कुछ अलग हटकर है। इसमे थोड़ा adventure है जोकि आपको कहानी जैसे जैसे आगे बढ़ेगी समझ आता जाएगा। ये कहानी ज्यादा लंबी नहीं है पर उम्मीद करती हूँ कि इसे पढ़कर आपको मज़ा आएगा और आपका औज़ार आपकी पेंट के अंदर गुलाटियाँ मारने लगेगा। तो चलिये अब ज्यादा समय वेस्ट ना करते हुए अपनी स्टोरी पर आती हूँ। ये कहानी मेरी है यानि प्रियंका की। तो ग्रेजुएशन खत्म होते ही घरवालों ने मेरी शादी करा दी। लड़का भी खानदानी था। शादी से पहले हर लड़की के कुछ सपने और अरमान होते हैं। मुझे मेरे सारे सपने धूमिल होते नजर आने लगे। शादी हुई तो समय के साथ मैं मां भी बन गई। अब मैं दो बच्चों की मां हूं। मेरे दोनों बच्चे शहर के सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ते हैं। पति का दिल्ली में बिजनेस है। अभी दो साल पहले मेरे पति ने ऋषिकेश में अपनी नई फैक्ट्री लगाने के लिए जमीन खरीदी, उसके बाद वहां पर कंस्ट्रक्शन का काम शुरू करवा दिया। मुझे वहां जाने का मौका नहीं मिला और जब सारा काम मुकम्मल हो गया तो मेरे पति मुझे वहां लेकर गए। मुझे वहां की आबो हवा बहुत अच्छी लगी। हमारी फैक्ट्री लगभग जंगल में ही थी। फैक्ट्री के पास ही एक छोटा सा घर भी मेरे पति ने बनवाया था।

Sadhu baba ne choda

घर के पास से ही एक कच्ची पगडंडी नीचे घाटी की तरफ जाती थी, जो एक गांव में पहुंचती थी। मगर गांव बहुत दूर था। 2-4 दिन तो ठीक ठाक कटे पर बाद में मैं बोर होने लगी। अब सारा दिन घर में क्या करती? एक दिन सोचा कि चलो नीचे गांव में चलकर देखती हूं। अपने पति को फैक्ट्री भेजने के बाद मैं तैयार होकर पगडंडी पर चल पड़ी। थोड़ा सा आगे जाने पर पूरा जंगल शुरू हो गया। बिल्कुल शांत सिर्फ झींगूर और किसी पंछी के बोलने की आवाज आ रही थी। काफी देर चलने के बाद भी कोई गांव नजर नहीं आया। फिर मेरे दिल मे थोड़ा डर आया कि इस जंगल में मैं अकेली थी। अगर कोई जंगली जानवर आ जाए तो? फिर मन मे ख्याल आया कि आज तक अपने बेडरूम के अलावा खुले में प्रकृति की गोद में कभी प्यार नहीं किया। अगर मेरे पति होते और यहां मेरे साथ वह सब करते तो कितना मजा आता। इस खयाल से ही मेरे तन बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई। मान लो अगर मेरे पति मुझे यहां पर इस सुनसान जंगल में मेरे कपड़े उतारकर ठोकते तो मैं उनका कभी विरोध न करती और खूब मजे से चुदती।

अभी मैं यह सब सोच सोच कर चली जा रही थी कि थोड़ी दूरी पर मैंने एक झोपड़ी देखी। मैं अनायास ही उस झोपड़ी की तरफ बढ़ गई जब मैं उस झोपड़ी के पास पहुंची तो मुझे लगा जैसे यह किसी साधू की कुटिया है। मैं अंदर गई तो देखा कि अंदर एक साधू बाबा, ध्यान में मग्न बैठे है। सर पे जूड़ा, बढ़ी हुई दाढ़ी, चौड़े कंधे, उम्र करीब 45 से 50 साल, बाल अधपके, सीना भी बालों से भरा हुआ। उनको देखते ही बाबा के लिए मेरे मन में श्रद्धा भर आई। मैंने झुककर बाबा के चरणों में प्रणाम किया। बाबा ने आंखें खोली और मुझे आशीर्वाद दिया।  Sadhu baba ne choda

बाबा – कहो बच्चा इतनी दूर यहां कैसे आई।

मै – बाबाजी हमारी फैक्ट्री है यहां, वो जो ऊपर सड़क के पास नई बनी है। मैं तो बस गांव की तरफ जा रही थी, रास्ते में आपकी कुटिया देखी तो आपका आशीर्वाद लेने चली आई।

बाबा – अच्छा अच्छा क्यों बनाते हो फैक्ट्री में?

मै – जी दवा बनाते हैं बहुत सारी।

लेकिन मैंने यह भी गौर किया कि बाबा बात करते करते कई बार मेरे स्तनों को भी देख रहे थे। बातचीत के दौरान उन्होंने मेरे सारे बदन का मुआयना कर लिया था। खैर, उस दिन तो कोई ज्यादा बात नहीं हुई और मैं थोड़ी देर बाद ही बाबा का आशीर्वाद लेकर वापिस आ गई। जंगल में इतनी दूर चलने के बाद भी मुझे साधू बाबा के अलावा कोई भी नहीं दिखा। मैं चाहती थी कोई जवां मर्द मिले तो मैं अपनी बोरियत दूर करने का जुगाड़ ढूंढ लूँ। पर इस सुनसान जगह पर कोई नहीं था। फिर मैं भी निराश होकर अपने घर को चली गई। रात को पतिदेव ने खूब चुदाई करके मुझे तसल्ली करवा दी। मगर मेरे मन में तो कुछ और ही चल रहा था। अगले दिन सुबह मैं फिर से तैयार हो कर जंगल की तरफ चल पड़ी। आज मैंने टी शर्ट और कैप्री पहनी हुई थी। कपड़े स्किन टाइट होने की वजह से मेरे बदन की हर गोलाई बड़ी उभर कर दिख रही थी। मैं वैसे ही घूमती घूमती फिर बाबा जी की कुटिया की तरफ चल दी। आज बाबा कुटिया में नहीं थे। मैंने कोई आवाज नहीं की। बस बड़ी शांति से घूमते हुए कुटिया के पीछे पहुंच गयी। वहां बाबा एक छोटा सा लंगोट पहने लकड़ियाँ काट रहे थे। Sadhu baba ne choda

बाबा का शरीर बड़ा ही कसा हुआ था। लंगोट ने सिर्फ उनका लिंग ही छुपा रखा था, वरना इस लिबास में बाबा तो बिल्कुल नंगे ही थे। उनकी दो मजबूत मस्कुलर टांगें और उन टांगों के ऊपर दो बड़े से गोल तरबूज़। आज बाबा के कसरती बदन का भरपूर नजारा दिखा था। बाबा को ऐसे देखते ही मेरी चूत गीली होनी शुरू हो गई। मैंने वैसे ही सोचा कि बाबा इतने बलिष्ठ हैं। अगर कोई कुंवारी कन्या को ये चोदने लग जाए तो ये तो उसकी बैंड बजा देंगे। कुंवारी क्यों? अगर मेरे को भी चोदें तो मेरी भी बैंड बजा देंगे। यह सोच कर मेरे मन में एक विचार आया। मैंने अपनी टी शर्ट के ऊपर के तीनों बटन खोल दिए ताकि मेरा एक बड़ा सा क्लीवेज दिखे। अब आधी छातियाँ नंगी और आधी टांगे नंगी लेकर अगर मैं बाबा के सामने जाऊं तो हो सकता है कि बाबा की घंटी बज जाए और मैं बाबा जैसे बलिष्ठ और बलवान मर्द का भी सुख भोग सकूं। यही सोच कर मैं बाबा के पास ही चली गई और उन्हें प्रणाम किया। Sadhu baba ne choda

मै – प्रणाम बाबा!

बाबा मुझे देखकर बिल्कुल भी नहीं सकपकाए, बल्कि बड़े विश्वास से बोले..

बाबा – जीते रहो बच्चा! भगवान तुम्हारा कल्याण करें।

मै – बाबा भगवान का पता नहीं पर आप मेरा कल्याण जरूर कर सकते हैं।

मेरे दिल की बात मेरी जुबान पर आ ही गई। अब बाबा थोड़ा चौककर बोले..

बाबा – क्या मतलब बच्चा?

मै – बाबा पति पर काम का बोझ बहुत ज्यादा है? वो तो मेरी तरफ बिलकुल भी ध्यान नहीं देते। काम से आते हैं और खाना खाकर सो जाते हैं और मैं बिस्तर पर तड़पती रहती हूं। आप बताओ बाबा मेरे सुंदर रूप में क्या कमी है?

बाबा ने मुझे ऊपर से नीचे तक किसी बड़े ठरकी की तरह घूरा और कहा तुम तो परमात्मा की एक बहुत ही सुंदर कृति हो।

मै – वही तो…. इस सुंदर रूप और इस आकर्षक बदन को जब पति देखे ही ना तो औरत क्या करे?

यह कहकर मैंने जान बूझ कर रोने का नाटक करना शुरू किया।

बाबा बोले – मैं तुम्हें एक जड़ी देता हूं, अपने पति को देना और फिर देखना।

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यह कह कर बाबा अंदर झोपड़ी में चले गए, तो मैं भी उनके पीछे पीछे झोपड़ी के अंदर चली गई। बाबा ने अपना आसन ग्रहण किया और अपने झोले से एक जड़ी बूटी सी निकाल ली। मैं बिल्कुल बाबा के चरणों के पास नीचे बैठ गई। मैंने उनके पांव पकड़े और अपना सर उनकी गोद में रख दिया और जान बूझ कर रोती रहीं। जैसे मैं बहुत दुखी हूं। बाबा ने मेरे सर पर हाथ फेरा और मुझे ढांढस बंधाया।

बाबा – चिंता मत कर बेटी यह जड़ी बहुत कारगर है। 2 से 3 दिन में ही अपना असर दिखा देगी।

मुझे लगा कि बाबा चाहते थे कि मैं उनके पांव छोड़ कर उनके सामने ठीक से बैठ जाऊ। पर मैंने बाबा के पांव नहीं छोड़े। बाबा ने एक दो बार मेरा सर अपने चरणों से उठाने की कोशिश भी की, मगर मैं नहीं हटी। यही स्थिति शायद बाबा के लिए भी बड़ी अजब रही होगी। मेरे आंसू बाबा के टखनों पर गिर रहे थे। मेरी गरम साँसे बाबा की एड़ियों को छू रही थी। थोड़ी देर बाद मुझे एहसास हुआ जैसी कोई चीज मेरे माथे को छू रही थी। अपने अंदाज से मैं जान गई थी कि बाबा का सोया हुआ घोड़ा अब जाग गया था और खड़ा हो गया है। मैंने सर उठा कर बाबा की तरफ देखा। बाबा बड़े प्यार से मेरा सर सहला रहे थे और उन्होंने बड़े प्यार से मेरी आखों में देखा। मैंने देखा कि बाबा के लंगोट में उभार आ गया था और लंगोट में आस पास गहरे घने बाल भी दिख रहे थे। मैंने बाबा के लंगोट को घूरते हुए बाबा से पूछा..

मै – बाबा प्रसाद नहीं दोगे?

बाबा – कौन सा प्रसाद चाहिए बेटी?

बाबा ने भी कुछ बनावटी अंदाज़ में कहा।

मुझे इसका प्रसाद चाहिए। कहकर मैंने अपनी उंगली से बाबा के तने हुए लंड को छू कर कहा।

बाबा ने अपना लंगोट एक तरफ कर अपना लंड बाहर निकाला और कहा लो बेटी पिछले 13 साल से इसने कभी किसी स्त्री के मुख को नहीं देखा है। जब से यहां आया हूं, मैं ब्रह्मचर्य का पालन कर रहा था। मगर तुम मेनका बनकर आईं और मेरा ब्रह्मचर्य भंग कर दिया।

मैंने बाबा के लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया। बाबा का लंड बहुत ही मजबूत और डंडे की तरह बिल्कुल सीधा था। मैंने बिना कुछ कहे बाबा के लंड को अपने होठों से लगा लिया और मुंह की गर्मी देने लगी। बाबा ने अपनी टांगे खोल दी और अपना लंगोट भी उतार दिया। मैंने बड़ी तसल्ली से बाबा का तगड़ा और लंबा लंड अपने मुंह में लेकर साफ किया। बाबा भी को उह आह कर रहे थे। जब गुदगुदी होती तो उचक जाते, मेरे सारे बदन पे हाथ फेरते रहे और मेरे स्तनों से खेलते रहे। थोड़ी देर बाद बाबा उठे और उन्होंने एक गद्दा और एक रजाई उठाई और फर्श पर बिछा दिया।

बाबा – बेटी यहा आ जाओ यहां मैं भोग लगाऊंगा।

तो मैं रजाई के ऊपर आ गई। बाबा ने मुझे खड़ा रखा और बड़े प्यार से मेरी टांगों को चूमा जो मेरी कैप्री के बाहर दिख रही थी। बाबा ने मेरी जांघों को सहलाया और मेरे नितम्बों को जोर जोर से दबाया, सहलाया और चूमा ।

बाबा – जानती हो? जब मैं शहर में जाता हूं और वहां लड़कियों और औरतों को इस तरह के कपड़ों में देखता हूं तो बड़ा मेरा बड़ा दिल करता है। मगर मैं ऐसा कर नहीं सकता। बस मन मसोस कर रह जाता था। आज मैं अपनी इच्छा पूरी करना चाहता हूं।

बाबा ने अपना दिल खोला।

मैंने भी कहा – बाबा आज मैंने अपने आपको, आप को अर्पण कर दिया। मेरा जो चाहो करो।

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मेरी सहमति पाकर बाबा ने मेरे नितम्बों को बहुत प्यार किया। बहुत सहलाया और चपत मार मार के दोनों लाल कर दिए। फिर बाबा ने हाथों से मेरा एक एक कपड़ा उतार कर मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया। मेरे नंगे बदन को बाबा ने बड़े प्यार से देखा। मेरी जांघों पे हाथ फिराया, जीभ से चाटा, मेरे पेट और कमर को भी चूमा। मेरे स्तनों को सहलाया, दबाया, निचोड़ा। मेरी निप्पल को मुंह मे लेकर, उन्हें दांतों से काटा। मेरी गर्दन को चूमा। मेरे गालों को चूसा, होठ चूसे और अपनी जीभ को मेरे मुंह में घुमाया। मतलब बाबा ने बड़ी तसल्ली से मुझे चूसा। उसके बाद मुझे नीचे लिटाया। मैंने खुद ब खुद अपनी टाँगें खोल दी, तो बाबा मेरी टांगों के बीच में आ गए। अपना लंड उन्होंने मेरी टांगों के बीच मेरी चूत के मुख द्वार पर टिकाया जो पहले से ही बेतहाशा गीली हो चुकी थी। बाबा ने हाथ जोड़े किसी देव का ध्यान लगाया और हल्का धक्का मारा, जिससे मेरी चूत का द्वार खुल गया। 2 से 3 धक्को में ही उनका पूरा लंड मेरी गीली हो चुकी चूत में फिसलता चला गया।

बाबा का लंड बहुत ही शानदार था। मोटा और लंबा था और उन्होनें मेरे अंदर से बाहर तक पूरा भर दिया। बाबा ने पहले धीरे धीरे करना शुरू किया। उनके हर धक्के के साथ मेरे मुख से हल्की सी सिसकारी निकल जाती। बाबा बड़े शांत स्वभाव से मेरी चुदाई कर रहे थे। मेरी बेचैनी बढ़ रही थी, मगर बाबा बड़े इत्मिनान से लगे रहे। जब मेरी उत्तेजना बढ़ गई तो मेरी सिसकियां चीख़ों में बदलने लगी और मैं आनंद में बड़बड़ाने लगी।

आह बाबाजी थोड़ा और जोर से करो। बाबा जोर जोर से करो। ऐसा आनंद तो आज तक नहीं आया।

पता नहीं। मैं मन ही मन में क्या क्या बड़बड़ा रही थी। बाबा ने अपने दोनों पांव पीछे को मोड़े और अपने दोनों हाथों को जोड़ कर उंगलियों को आपस में फंसाकर एक अजीब सा आसन बनाया और उसके बाद बाबा ने अपनी स्पीड और तेज कर दी। मैंने नीचे से कमर उठानी शुरू की। मेरा बदन पसीने से भीगा पड़ा था और ऊपर से बाबा के बदन का पसीना भी छूकर मेरे बदन पे गिर रहा था। 5 से 6 मिनट बाद, मैं तो बुरी तरह से पस्त हो गई। मेरा दिल कह रहा था कि इसी आनंद में अगर मेरी जान भी निकल जाए तो कोई गम नहीं। मगर बाबा उसी रफ्तार से लगे रहे। मैं निढाल हो कर लेटी थी और बाबा अभी भी अंदर बाहर कर रहे थे।

jungle Baba ne mujhe choda

मैंने पूछा बाबा ये जो आपने आसन बनाया है इसका क्या फायदा।

वो बोले इस आसन से पुरुष जितनी देर चाहे संभोग कर सकता है ना तो उसका अंग ढीला पड़ेगा और न ही उसका वीर्यपात होगा।

मैंने कहा यह तो बहुत कमाल की बात है।

बाबा लगे रहें। बाबा की रगड़ाई से मेरा फिर से मन उत्तेजित होने लगा। मेरी फिर से तैयार होने लगी।

बाबा – देखो बेटी तुम फिर से तैयार हो गई। अगर पुरुष दो तीन बार स्त्री को स्खलित न करें तो उसका कोई फायदा नहीं।

चुदाई के साथ ही साथ बाबा प्रवचन भी करते जा रहे थे। इस बार मुझे भी पास होने में 15 मिनट से ज्यादा लगे। मगर यह बात मैंने देखी बाबा को न थकान हुई न उनका सांस फूला। वो बड़े आराम से करते रहे। जब मैं दूसरी बार स्खलित होकर निढाल हो कर नीचे लेटी थी।

तो मैंने बाबा से कहा, बाबा अब बस करो। मेरी पूरी तसल्ली हो चुकी है। अब तो जैसे मेरे अंग अंग में दर्द होने लगा। अब आप भी स्खलित हो जाओ और मेरी चूत को अपने आशीर्वाद से भर दो।

बाबा बोले – बेटी अभी मैं तुमको दो बार और स्खलित कर सकता हूं। मैंने अपने शरीर को ऐसे ढाला है कि जब तक मैं न चाहूं, मैं स्खलित नहीं होऊंगा।

मै – नहीं बाबा अब और नहीं अब तो दर्द होने लगा है।

Jungle me baba ka mota lund liya

सच तो यह था कि बाबा का हर प्रहार मेरे अंदर तक चोट कर रहा था। मेरी तो हालत खराब थी। ऐसे संभोग का आनंद तो मैंने अपनी जिंदगी में आज तक नहीं लिया था। बाबा ने मेरी पूरी तसल्ली करवा दी थी। उसके बाद बाबा ने अपना आसन खोला और बस फिर उनको झड़ने मे दो मिनट भी नहीं लगे। उसके बाद तो ऐसा लगा जैसे किसी नदी का बांध ही फूट गया हो। बाबा के अंदर से निकलते सफेद और गाढ़े पानी से मेरा तो सारा बदन भर गया। मैंने आज तक किसी पुरुष को इतना माल निकालते हुए नहीं देखा था जो पानी मेरे चेहरे और स्तनों पे गिरा था। वो तो मैंने अपनी जीभ से साफ कर दिया और बाबा के ढीले होते लंड को अपने मुंह में ले लिया। उसमें भी बाबा ने एक दो बार मेरे मुंह में भी अपना माल निकाला। उसके बाद न जाने कितनी देर हम दोनों नंगे ही लेते रहे।

फिर मैं उठी और बोली बाबा मैं नहाना चाहती हूं।

तो बाबा मुझे अपनी झोपड़ी के पीछे ले गए। वहां उन्होंने पानी भर रखा था। वहां हम दोनों खुले जंगल में एक साथ नीले आसमान के नीचे नहाएं। नहाने के बाद झोपड़ी के अंदर आए और मैंने हम दोनों के लिए खाना बनाया। खाना खाकर दोपहर बाद हमने फिर एक लंबी पारी खेली और इस बार बाबा ने मुझे तीन बार स्खलित किया। उसके बाद तो यहां हर रोज का खेल हो गया। धीरे धीरे बाबा ने मेरे सारे छेद खोल दिए। हर रोज़ बाबा किसी नए आसन में मुझे चोदते! उन्होंने तो पूरा कामशास्त्र भी मुझे समझा दिया। अब तो मेरा दिल करता था कि सब कुछ छोड़ छाड़ कर बाबा के पास ही आ बसून। हम अक्सर ही उस सुनसान जंगल में घूमते जहां दिन करता वहां संभोग करते। थोड़ी दूर पर एक छोटा सा झरना था, वहां पे जाकर नहाते ये समझो कि मैंने बाबा के साथ अपने हनीमून का भरपूर आनंद लिया। बाबा ने भी मुझे जी भर के प्यार दिया।

जिस दिन वापस आना था, मैं बाबा से लिपट कर बहुत रोई। मैं करीब 10 दिन वहां रही और इन 10 दिनों में मैं करीब 50 से ज्यादा बार स्खलित हुई। दोस्तो, अगर आपको ये कहानी पसंद आई तो अपने दोस्तों को शेयर करे। और अगर कुछ भी कमी हो तो नीचे कमेंट करें। मिलते हैं नई कहानी के साथ तब तक के लिए धन्यवाद।

Sadhu baba ne choda

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